खर्चों के लिए न तो सरकार से कोई अनुदान लेते हैं और न ही किसी से चंदा मांगने जाते हैं। जरूरी सामान और अन्य आवश्यकताओं की एक चिट्ठी लिखकर नियमित रूप से ठाकुर जी (श्रीकृष्ण भगवान) के मंदिर में रख दी जाती है। साथ ही जरूरत वाली चीजों की सूची नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दी जाती है। श्रद्धालु आते हैं और सूची की कोई भी वस्तु जैसे आटा, दाल, चावल, चीनी, तेल, घी आदि दे जाते हैं। जैसे ही सामान मिलता है नोटिस बोर्ड से उस सामान की पर्ची हटा दी जाती है। नेपाल सहित देश भर में अपना घर के 23 आश्रम संचालित हैं। लगभग हर शहर, कस्बे में इसके कार्यकर्ताओं की कार्यकारिणी बनी हुई हैं, जो आश्रमों की व्यवस्था संभालती हैं।
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